( सच्चा दोस्त, बंदर सामुहिता, प्रकृति, आकांक्षा, राष्ट्र , परोपकार, चश्मा, खुशी, परिश्रम, पक्षी, मगरमच्छ)
मोबाइल
मैं
मोबाइल हूं जनाब मेरी हर बात निराली है
मुझसे
लोगों की हथेली भरी और मुट्ठी खाली है।
2G
3G और 5G तक पहुंच गया हूं
पक्षियों
के तो प्राणों को निकल गया हूं
मगरमच्छ
की जकड़ है मेरी परोपकार में कंगाली है
मैं
मोबाइल हूं जनाब मेरी हर बात निराली है।
बंदर
बना कर नाच नचाता, सामूहिकता का पाठ पढ़ाता
राष्ट्र
को जब चाहा तब जोड़ा और तोड़ दिया
जब
भी एक पोस्ट ऐसी डाली है
मैं मोबाइल हूं जनाब मेरी हर बात निराली है।
ईद
दिवाली खुशी मनाता है ,अथक परिश्रम को जन-जन तक पहुंचाता
प्रकृति न पूछो मेरी, मेरे चश्मे पर उन्मादों की
लाली है
मैं
मोबाइल हूं जबाब मेरी हर बात निराली है।
आकांक्षाओं
को पर लगे, तकनीक से जीवन सरल हुआ है
सच्चा
दोस्त,हर नाता, रिश्ता विरल हुआ है
रुको, थोड़ा सोचो, गर संस्कृति संभालनी है
क्योंकि मैं मोबाइल हूं जनाब मेरी हर बात निराली
है।
-:नीतू सिंह जादौन:-