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संभालो इस वक्त को
संभालो इस वक्त को
यह वक्त है वक्त का
क्योंकि वक्त और वक्त के बीच
फासला बचा है वक्त का
कोई राजा से रंक बने
तो कोई रंक से राजा
यह खेल है केवल वक्त का
संभालो इस वक्त को
यह वक्त है वक्त का
कई बतलाते हैं वक्त की कमी
पर बिताते हैं घड़िया
यारों की गलियों में
नुमाइश करते अपने आपकी
हाथों में लिए जाम कांच का
उड़ाते हैं वक्त को
धुएं का छल्ला बनाकर
सजी रहती है महफिल है
बस अंतर आता है वहां
वक्त वालों का
कोई फरमाता है आराम
टांगों पर टांग धरे
और कोई नहीं कर पाता
पल भर को आराम
जो समझता है वक्त को
शासन करता है
वक्त को नहीं समझने वालों पर
इसीलिए संभालो इस वक्त को
यह वक्त है वक्त का
घर और देश का भविष्य
निर्भर करता है हम युवाओं पर
इसलिए बदलो अपने आप को
इतिहास में एक सुनहरा पन्ना कर दो
बदल दो अपने आप को
पत्थर से हीरा पन्ना कर दो
जो समझता है वक्त को
उसके लिए सभी के आशीष फलते हैं
नहीं समझने वाले, वक्त गुजर जाने पर
अंदर ही अंदर जलते हैं
इसीलिए कहता हूं
संभालो इस वक्त को
यह वक्त है वक्त का
वक्त और वक्त के बीच
अब फासला बचा है वक्त का
वक्त का ..........
वक्त का...........
-: आशीष कुमावत
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