रहिमन धागा मेत्रैयी का
रहिमन धागा मैत्री का मत तोड़ो चटकाय
टूटे से फिर ना जुड़े जुड़े गांठ पड़ जाए ।
अनुयाई ढूंढे जो वह मित्र कहां से पाए
कदम कदम जो साथ चले तो राह सुगम हो जाए
रहिमन धागा मैत्री का मत तोड़ो चटकाय ।
आप ही गूंथे , आप पकावे ,आप ही बैठा खाए
रहमान तृप्ति हुआ तू , दूजा भूखा रह जाए
रहिमन धागा मैत्री का मत तोड़ो चटकाय ।
आकर आकर प्रेम का जोड़ा , बैरी दिया बताय
स्वार्थी सत्य छुपाने को कीमत दी लगाय
रहिमन धागा मैत्री का मत तोड़ो चटकाय ।
अचरज है देख के दुनिया कैसा सूप सुभाए
मन की भर ली कटोरे में , निंदा दई उडाय
रहिमन धागा मैत्री का मत तोड़ो चटकाय ।