लॉक डाउन के बाद , आसमान, अमृत, बाँहे, लूट
लॉक डाउन के बाद
आसमान के नीचे खड़ा हूं मैं, अपनी बाहें फैलाए
हर पल की खुशी लूट रहा हूं मैं, सिमेट रहा हूं अपनी बाहें फैलाए
अमृत सुधा बिखेरती प्रभा आ रही है,
सुनो ध्यान से हर चीज गा रही है
गर्म बदन को स्पर्श करती चलती ये, ठण्डी हवाएं,
हर पल की खुशी सिमेट रहा हूं मैं, अपनी बांहें फैलाए
वसुंधरा को स्वर्ण करता रवि आ रहा है,
स्याही रात को पीता हुआ, प्रकाश छा रहा है
आज हर पल की खुशी लूट रहा हूं मैं,
और सिमेट रहा हूं अपनी बाहें फैलाए
और सिमेट रहा हूं अपनी बाहें फैलाए
आओ प्रकृति की खुशबू,आज पाएं
सिमेट ले इन्हे, अपनी बाहें फैलाए
अपनी बाहें फैलाए........
अपनी बाहें फैलाए........
लॉक डाउन के बाद , आसमान, अमृत, बाँहे, लूट